"जहाँ भक्ति होती है, वहाँ कृपा स्वयं उतरती है।"
"पत्थर तब तक पत्थर है, जब तक उसे पूजा न जाए,
और स्थान तब तक भवन है, जब तक वहाँ कृपा न उतर आए।"
श्री बजरंग बाला जी दरबार केवल ईंट और सीमेंट का ढांचा नहीं, बल्कि एक 'जाग्रत शक्ति-पुंज' है। यह कहानी है उस पिता की जिसने अपना जीवन हनुमान जी के चरणों में गला दिया, और उस पुत्र की जिसने उस विरासत को विश्व-कल्याण का मिशन बना दिया।
दरबार की नींव 53 वर्षों की तपस्या पर टिकी है। श्री कुलवंत सिंह भट्टी जी ने आधी सदी तक रामलीला में हनुमान जी की सेवा की।
'सर्बजीत सिंह' से 'बजरंग दास' बनने की यात्रा। हनुमान जी के चरणों में समर्पण के बाद, वे समाज कल्याण का माध्यम बन गए।
शुरुआत घर के एक छोटे से कोने से हुई। दिव्य संकेत मिलने पर, घर को संगत के लिए खोल दिया गया। यहाँ 'बाल रूप' की पूजा होती है।
ईश्वर आपकी जेब नहीं, नीयत देखता है। यहाँ केवल सादगी और राम नाम का संकीर्तन है।
दिव्य प्रेरणा से रचित ग्रंथ। जब भक्त तनाव में होते हैं, तो इसमें उन्हें अपनी समस्याओं का उत्तर मिलता है।
बच्चों को राम से जोड़ने की पहल। यहाँ नन्हें बच्चे मोबाइल छोड़कर माला पकड़ते हैं।
यह दरबार का पावर हाउस है। 24 घंटे जलने वाली यह ज्योत साक्षात हनुमान जी की उपस्थिति का प्रतीक है।
डिजिटल माध्यम से आज सात समंदर पार बैठे भक्त भी लाइव संगत से जुड़ते हैं। "वसुधैव कुटुम्बकम" का सपना सच हो रहा है।
"मानवता में देवत्व का जागरण।"
एक ऐसा विश्व जहाँ हर चेहरे पर मुस्कान हो और हर दिल में राम हो। हम जाति, धर्म और देश के भेदों को मिटाकर प्रेम का संदेश फैलाना चाहते हैं।