जय श्री राम | ॐ सिया रामाय नमः | जय हनुमान
🕉️ दरबार में सुबह-शाम नि:शुल्क ऑनलाइन सत्संग होता है   |   हर मंगलवार और शनिवार को "संपूर्ण हनुमान भक्ति विधि" का पाठ किया जाता है   |   यहाँ सच्ची भक्ति और साधना का महत्व सिखाया जाता है   |   गुरु सानिध्य में ही ईश्वर प्राप्ति संभव है   |   श्री बजरंग दास जी को साक्षात हनुमान जी के दर्शन हुए 🕉️
Shri Krishna

श्रीमद्भगवद्गीता सार

॥ जय श्री कृष्ण ॥

१. क्यों व्यर्थ चिंता करते हो?

तुम क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? तुम क्यों भयभीत होते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है।

२. जो हुआ, वह अच्छा हुआ

जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।

३. परिवर्तन ही संसार का नियम है

परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।

४. कर्म करो, फल की चिंता मत करो

तुम्हारा अधिकार केवल कर्म पर है, फल पर नहीं। इसलिए कर्म करते रहो, फल की इच्छा मत करो।